स्नेहल गोसावी और उनके बालाजी पार्सल पॉइंट से अब कई नासिककर परिचित हैं| स्नेहल ने इसकी शुरुआत २०१९ में की थी| चौदह साल तक नौकरी करने के बाद स्नेहल को अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए नौकरी छोड़नी पड़ी| इसी बीच उनके पिता का निधन हो गया| उनके दोनों भाई नासिक के बाहर बस गए| स्वाभाविक रूप से स्नेहल ने माँ की ज़िम्मेदारी उठायी| इसके अलावा, उन पर अपने ससुराल की भी ज़िम्मेदारियां थीं| उन्हें इसके लिए कुछ आर्थिक योगदान देने की आवश्यकता महसूस हुई| लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए| चूँकि उनके बच्चे छोटे थे इसलिए नौकरी के लिए बाहर जाना संभव नहीं था| जब वे यह सोच रही थीं कि क्या किया जा सकता है, तभी एक ऐसी घटना घटी जिसने उन्हें अपने व्यवसाय के लिए दिशा दे दी|
हुआ यूं कि स्नेहल की मां कुछ दिनों के लिए अपने बेटे से मिलने अमेरिका गयी हुई थीं| वहां से नासिक लौटने के बाद उन्होंने यात्रा की थकान से उबरने के लिए कुछ दिनों तक खाने का टिफिन ऑर्डर करने का फैसला किया| काफी पूछताछ के बाद स्नेहल ने अपनी मां के लिए किसी से घर के बने खाने का डिब्बा भिजवाया| लेकिन वह खाना बहुत ही बेस्वाद निकला| और पैसे भी बर्बाद हो गए| व्यवसाय के बारे में सोच रहीं स्नेहल को इसी से आईडिया सूझा| अगर हम ही घर जैसा अच्छे स्वाद वाला खाना दें तो... इसी विचार से बालाजी पार्सल पॉइंट की शुरुआत हुई|
बेशक, शुरुआत करने के बाद भी उन्हें एक दिन में ग्राहक मिलना संभव नहीं था| फिर स्नेहल ने पैम्फ्लेट्स छपवाए और उन्हें आसपास के इलाके में घर-घर जाकर बांटा| कुछ ही दिनों में उन्हें दस रोटियों का ऑर्डर मिला| नासिक के द्वारका इलाके में रहने वाली स्नेहल घर से रोटी बनाकर इंदिरा नगर इलाके में ले जाती थीं और उन्हें वहां बेचती थीं| बाद में जब रोटियों की मांग बढ़ने लगी तो उन्हें जगह की ज़रूरत महसूस हुई| इंदिरा नगर इलाके में उनकी मां का घर होने के कारण वह सुविधाजनक था, लेकिन फिर भी उन्हें काम के लिए एक निश्चित जगह की ज़रूरत थी| स्नेहल की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण उन्हें उस क्षेत्र में किराये पर एक छोटी सी दुकान मिल गयी| वे घर से रोटियां बनाकर डिब्बों में लाती थीं और दुकान में बेचने के लिए रखती थीं| जैसे-जैसे रोटी की बिक्री बढ़ने लगी, ग्राहकों ने सब्जी के लिए भी अनुरोध करना शुरू कर दिया|
शुरुआत में स्नेहल के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे कर्मचारियों को नौकरी पर रख सकें और उन्हें वेतन दे सकें| तब उनकी मां ने उनका साथ दिया, उन्होंने घर से सब्जियां बनाकर उनकी बहुत मदद की| उन्होंने अपनी रोटियां और अपनी मां द्वारा बनाई गई सब्जी दुकान पर बेचना शुरू कर दिया| एक हफ्ते के अंदर ही ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा| स्नेहल की रोटी-सब्जी घर से बाहर रहने वाले बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए सहारा बन गई|
मांग बढ़ने के बाद इसे घर से बनाकर लाना मुश्किल हो गया| स्नेहल ने दुकान में ही खाना बनाने का फैसला किया| इसकी शुरुआत आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी से हुई जैसे कि दो खाना पकाने के स्टोव, चार गैस, बड़े पतीले, आदि| अगले छह महीनों में स्नेहल ने अपनी मां से सभी प्रकार की सब्जियां सीखीं| वे अब रोटी के साथ-साथ भाकरी भी बनाने लगी थीं| उन्हें रोटियां बनाने के लिए एक सहायक मिल गयी| वे कहती हैं कि उनका योगदान महत्वपूर्ण है| जैसे-जैसे काम का दायरा और मांग बढ़ती गई, उन्होंने और अधिक सहायकों को काम पर रखा| स्नेहल कहती हैं, "वैशाली ताई , नीलम ताई और अनीता ताई की मदद के बिना यह सब चलाना संभव नहीं है|”
अब बालाजी पार्सल पॉइंट में रोज़ाना ३ से ४ किलो सब्जियां बनाई जाती हैं| एक नहीं बल्कि चार से पांच तरह की सब्जियां बनाई जाती हैं| सभी प्रकार की सब्जियों जैसे पातोडे, भरवां बैंगन, बैंगन भरता, दालें, अंकुरित अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल सब्जियां, आमटी, सोयाबीन, मिक्स वेज, शेव भाजी, आदि की खुशबू दुकान के चारों ओर फैल जाती है| विभिन्न प्रकार की दालें जैसे मूंग दाल, पंचमेल दाल, सफेद उड़द दाल भी यहां उपलब्ध हैं| जबकि फलियां, कड़ी खिचड़ी, दाल बट्टी ऐसे व्यंजन हैं जो ध्यान आकर्षित करते हैं| संडे स्पेशल में मिसल पाव, थालीपीठ जैसे व्यंजन ग्राहकों के रविवार को लज़्ज़तदार बनाते हैं|
सब्जी और किराना सामान स्नेहल खुद खरीदती हैं| वे सब्जियां घर से साफ करके और काटकर लाती हैं| स्नेहल सात्विक स्वाद के साथ पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने पर विशेष ज़ोर देती हैं| वे घर में बने मसालों का उपयोग करती हैं| वे रोटियों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली गेहूं का उपयोग करती हैं| विभिन्न प्रकार के चावल, सादा जीरा राइस, मसाला भात, दाल तड़का के लिए भी सर्वोत्तम चावल का उपयोग किया जाता है| स्नेहल के पास शादी, गोद भराई, जन्मदिन, महिलाओं की किटी पार्टी, दिवाली फराल, गणपति जैसे सभी समारोहों के लिए बहुत सारे ऑर्डर हैं| त्योहारों के दिनों में उन्हें पूरनपोली और मोदक के बहुत ऑर्डर मिलते हैं|
इस पूरी यात्रा में परीक्षा की घड़ियां भी थीं| स्नेहल ने उनमें से एक के बारे में बताया| एक बार उन्हें ५० लोगों के लिए पातोडा की सब्जी और रोटी का ऑर्डर दिया गया था, खाना पहुंचाने के बाद उन्हें फोन आया कि वहां ८० लोग आये हैं और खाना कम पड़ गया| स्नेहल ने अगले १५ मिनट में जादू कर दिखाया| १५० रोटियां बनाकर, साथ में दाल चावल, रोज़ाना बनने वाली चार सब्जियां लेकर अगले १५ मिनट में वे खुद ऑर्डर देने गयीं|
कोविड के दौरान पूरे परिवार को कोविड होने के कारण उन्हें दो महीने के लिए दुकान पूरी तरह से बंद रखनी पड़ी, इस दौरान उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुकसान हुआ| फिर भी उन्होंने दोबारा शुरुआत की और खोया हुआ व्यवसाय फिर से स्थापित किया|
स्नेहल कहती हैं, “मैं गुणवत्ता के मामले में कभी समझौता नहीं करती| मैं जो खुशी से खा सकती हूं, वही अपने ग्राहकों को देती हूं|” अब वे अपना खुद का विशाल लंच होम शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं| वे वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, होम डिलीवरी सर्विस के लिए इनोवेटिव आइडिया पर काम कर रहे हैं| वे अपनी व्यावसायिक यात्रा में इस नए पड़ाव को भी जल्द ही सफलतापूर्वक पार कर लेंगी|
बालाजी पार्सल पॉइंट, नासिक
संपर्क - 8446564731
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